उत्तराखंड की पौराणिक संस्कृति की मिसाल है यमुना घाटी का डांडा देवराणा मेला आयोजित

Pahado Ki Goonj

बडकोट  (मदन पैन्यूली) -उत्तरकाशी जिले के यमुनाघाटी में होने वाले सुप्रसिद्ध डांडा देवराणा मेले का आयोजन विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी

आषाढ़ मास के 23 गते को यानी कि आज होना है इस मेले से यमुनाघाटी के ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण उत्तरकाशी जिले के सभी ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के लोग देवराणा नामक स्थान पर एकत्र होकर बाबा भौखनाग के दर्शन करते हैं यह मेला उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती धारी कफनोल क्षेत्र में आयोजित किया जाता हैं ये मेला आज भी उत्तराखंड की पौराणिक संस्कृति को संजाये रखता है और पलायन हुए सभी लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़े रखने का भी काम करता है इस मेले का आयोजन स्थान देव दारों के घने जंगलों के बीच करीब दो हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित देवराणा में होता जंहा साल में एक बार ही बाबा भौख नाग के दर्शन के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहता है घाटी के सभी क्षेत्रों से लोग अपने पारम्परिक परिधानों को पहने तांदी नृत्य के साथ मेले में अपनी उपस्थिति देते हैं और बाबा का आशीर्वाद लेते हैं कहते हैं कि बाबा के मोरू (मूर्ति )के साक्षात दर्शन भी इसी दीन इस मेलें में हो पाते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबा के दर्शन मात्र से ही कष्ट दूर हो जाते है । यमुनाघाटी में आज भी लोगों को अपने सगे संबंधियों व मित्रों को एक स्थान पर मिलने के लिए आज भी यमुनाघाटी के प्रत्येक गांव में भी मेलों का आयोजन किया जाता है जिससे आज भी यमुनाघाटी में सबसे कम पलायन देखा गया है साथ अपनी पौराणिक संस्कृति को भी बचाये हुए हैं ।लोग इस आधुनिक युग में भी 3 से 4 किमी पैदल चढ़ाई चढ कर मेले में हिस्सा लेते हैं जोकि अन्य देशों व राज्यों के लिए भी एक मिसाल है । उत्तराखंड की पौराणिक संस्कृति की मिसाल है यमुना घाटी का डांडा देवराणा मेला

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