उत्तर की द्वारिका के नाम से प्रसिद्ध भगवान श्रीकृष्ण की तपस्थली

Pahado Ki Goonj

उत्तर की द्वारिका के नाम से प्रसिद्ध भगवान श्रीकृष्ण की तपस्थली सेम मुखेम की त्रिवार्षिक यात्रा में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है।उत्तराखंड के टिहरी जिले के प्रतापनगर तहसील की उपली रमोली पट्टी के मुखेम गांव के ठीक ऊपर सेम में स्थित भगवान श्रीकृष्ण के नागराजा स्वरुप की पूजा अर्चना हेतु श्रदालु देश के कोने कोने से आते हैं, यूँ तो क्षेत्र के आराध्य देव भगवान नागराज की पूजा वर्ष भर चलती रहती है लेकिन हर तीसरे वर्ष यहाँ पर भव्य मेले का आयोजन प्रत्येक 11 गते मंगसीर यानी 25-26नवम्बर को होता है जिसमे हजारों की सँख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ यहाँ पर पहुंचते है और भगवान नागराजा के साथ साथ रमोली के राजा के नाम से विख्यात रमोला देवता और अन्य देवी देवताओं का भी आशीर्वाद लेते हैं।यहां के बारे में कई पुरानी लोककथाएं प्रसिद्ध है एक कथा के मुताबिक जब भगवान श्रीकृष्ण द्वापरयुग में यहाँ से गुजर रहे थे तो उन्हें सेम मुखेम वाली ये भूमि अत्यधिक मनमोहक लगी वो यहाँ पर रुके और अपना आशियाना बनाने की सोचने लगे लेकिन, जैसे ही वो यहाँ अपने स्थान को बनाने के लिए सोच रहे थे वैसे ही तत्कालीन समय मे रमोली के राजा गंगू रमोला जी वहाँ पर आकर उन्हें यहाँ की एक इंच जमीन भी देने से इंकार करने लगे जिस बात को लेकर भगवान श्रीकृष्ण और राजा रमोला में काफी बहस हुई यहाँ तक कि युद्ध की जैसी नौबत तक आ खड़ी हुई थी,भगवान कृष्ण ने बात न बनते देख रमोली के राजा रमोला पर अपनी मायावी शक्ति आजमाई,उन्होंने रमोला के भैंस,गाय, भेड़, बकरी आदि पशुओं को अपनी शक्ति से गायब कर दिया और सेम मुखेम की भूमि पर हजारों की सँख्या में नाग लोटने लगे,अपने पशुओं को ढूंढते ढूंढते आखिर में गंगू रमोला परेशान होकर और हजारों नागों को अचानक इस भूमि पर देखकर समझ गए कि ये कोई साधारण व्यक्ति नही बल्कि कोई अवतारी दिव्य पुरुष है,फिर उन्होंने भगवान कृष्ण से कहा कि मैं तुम्हे जमीन देने को तैयार हूं पर पहले मेरी भैस ,गाय आदि पशुओं को वापस ला दो औऱ इन लोटते साँपो को भी लोप कर दो,फिर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शक्ति से राजा रमोला के सभी पशुओं को उनके समक्ष ला दिया और साँपो को भी लुप्त कर दिया,इससे प्रभावित होकर रमोली के राजा रमोला ने उन्हें जमीन दान दी,जो कि आज सेम मुखेम नाम से प्रसिद्ध है,दूसरी लोककथा है कि रमोली में द्वापरयुग में एक राक्षसी का प्रकोप था वो वहाँ से गुजरने वाले हर व्यक्ति से झूले पर बैठने की गुजारिश करती और जैसे ही कोई उसके झूले पर बैठता वो राक्षस रूप में आकर झूले पर बैठे व्यक्ति को खड़ी चट्टान से नीचे डाल देती जिससे हर वो व्यक्ति जो झूले पर बैठता वो काल के मुंह मे समा जाता जिससे रमोली के राजा गंगू रमोला बहुत परेशान थे वो राक्षसी से निजात पाना चाहते थे,इसी दौरान उनकी मुलाकात यहाँ की जमीन माँगने वाले मायावी व्यक्ति से हुई जो कि भगवान कृष्ण थे,उन्होंने मायावी पुरूष भगवान कृष्ण से कहा कि यदि तुम हमारे क्षेत्र को इस राक्षसी से छुटकारा दिला सको तो मैं तुम्हें 7 हाथ जमीन दूँगा जिस पर भगवान कृष्ण ने हामी भरी और झूला खेलते खेलते राक्षसी के प्राण ले लिए जिससे प्रभावित होकर राजा रमोला ने उन्हें जमीन दान दे दी।
सेम मुखेम बड़ा ही रमणीक स्थल है रमोली पट्टी की ऊँची चोटी पर स्थित मंदिर,भगवान श्रीकृष्ण की मायावी शक्ति और राजा रमोला के आपसी वीर गाथा और आपसी प्रेम स्नेह और जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के मददगार साथी होनी की निशानी है जो हम सबको ये अहसास दिलाता है कि अपने मित्र की जरूरत पड़ने पर सहायता जरूर करनी चाहिए और साथ ही हमे गंगू रमोला की तरह अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए किसी से भी भिड़ने को तैयार रहने का संदेश देता है।भगवान नागराजाका यह क्षेत्र दो जिलों टिहरी और उत्तरकाशी की सीमा पर स्थित है। यहाँ पर दूर दराज से दर्शनाथी साल भर दर्शनार्थ आते रहते हैं, मन्दिर के कपाट बारह महीने हमेशा खुले रहते हैं।यहाँ दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में पौड़ी के लोग आते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में सलाणी कहा जाता है,इसके अलावा टिहरी जिले के दूरदराज के लोग भी बड़ी संख्या में पहुँचते हैं, साथ ही उत्तरकाशी के गाजणा, धनारी,बड़ागडी,चिन्यालीसौड़,बड़कोट ,पुरोला रवाईं घाटी के लोग भी बड़ी संख्या में आते हैं, प्रत्येक तीसरे वर्ष यहाँ पर भव्य मेले का आयोजन होता है जो कि इस वर्ष आज और कल है।इस वर्ष इस मेले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत जी के आने का भी कार्यक्रम है। पांचवें धाम के रूप में प्रसिद्ध सेम मुखेम मन्दिर में त्रिवार्षिक मेले में बहुत भीड़ देश विदेश के श्रद्धालुओं की उमड़ती है,यहाँ लोग रात भर अलाव जलाकर डौंर थाली,ढोल दमाऊ की थाप पर नाचते रहते हैं, साथ ही अपने देवी देवताओं की डोली और निशान को लेकर भी लोग दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।मेले को सफल बनाने के लिए मेला समिति, मन्दिर समिति होती है जो कि शासन प्रशासन की सहायता से मेले को सुचारू बनाती है,इस वर्ष मेला समिति के अध्य्क्ष स्थानीय जिला पंचायत सदस्य गोविंद रावत है।क्षेत्रीय विधायक विजय पँवार मेले के मुख्य संरक्षक है,साथ ही क्षेत्रीय बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, स्थानीय प्रधान,बीडीसी सदस्य,युवा मंगल दल के अलावा मन्दिर समिति के सदस्य,रावल आदि लोग मेले के सफल संचालन में हमेशा सराहनीय योगदान देते हैं।

कैसे पहुंचे सेम-मुखेम- प्रतापनगर के उपली रमोली स्थित उत्तर द्वारिका सेम मुखेम मन्दिर पहुंचने के लिए ऋषिकेश आखिरी रेल स्टेशन है जहाँ से सीधी बस और टैक्सी मुखेम के लिए वाया नरेन्द्रनगर,चम्बा,डोबरा,लम्बगांव, कोडार से मुखेम,मड्डभागी सौड़ पहुँचते हैं यहाँ से तीन किमी पैदल चलकर सेम मन्दिर तक पहुँचते हैं।बस, संयुक्त बस अड्डा ऋषिकेश से तो टैक्सी नटराज चौक स्थित टैक्सी स्टैंड से मिलती है। यदि आप पौड़ी से आ रहे हो तो श्रीनगर से लम्बगांव उत्तरकाशी की सीधी बस से लम्बगांव अथवा कोडार में उतरकर टैक्सी से मुखेम मड्डभागी पहुँचते है।यदि आप चमोली,रुद्रप्रयाग से आ रहे हो तो श्रीनगर से बस टैक्सी से पहुंच सकते हैं, वहीं यदि आप घनसाली से आना चाहते हो तो ,घनसाली,चमियाला, केमुंडाखाल,भदुरा घाटी,केवि सौड़खाण्ड के रास्ते चवाड़ गाड़ रातलधार कोडार से भी पहुंच सकते हैं,इस रूट पर भदुरा घाटी के बीचोबीच भगवान कोटेश्वर महादेव,केमुंडाखाल में माँ भुवनेश्वरी मन्दिर,हितघण्डियाल देवता,मान चम्पा देवता,लिखवार गांव स्थित बटुकभैरव नागराजा मन्दिर,काल भैरव मंदिर, क्षेत्रपाल मन्दिर आदि के दर्शन भी कर सकते हैं।यदि आप उत्तरकाशी से आ रहे हैं तो चौरंगीखाल धौंत्री होते हए कोडार के रास्ते मुखेम पहुंच सकते हैं, तो वहीं धनारी से पैदल रास्ते भी पहुंच सकते हैं।

भगवान नागराजा की भूमि सेम मुखेम में मन्दिर के अलावा कई अन्य दर्शनीय रमणीक स्थल भी हैं, जिनमे मुख्य मेला परिसर मड्डभागी सौड़,रमोला का पानी,तलबला सेम,डुंडा कुंड(रौ)आदि है।साथ ही यात्रा मार्ग पर दीन गांव के प्रसिद्ध लाल सिंह देवता मन्दिर, कंडियालगांव के ऊपर दिन्याली देवी मंदिर,गैरी कोरदी के ऊपर बुरांसखन्डा मन्दिर,भरपूर बागी में भैरव मंदिर,पनियाला में बटुक भैरव मंदिर,लम्बगांव नौघर पिपलोगी में महेड देवता मन्दिर,बड़ेथ रमोली के पास राज राजेश्वरी मन्दिर,सती मन्दिर आदि का भी दर्शन कर सकते हैं,तो वहीं ओंण पट्टी देवल स्थित ओणेश्वर महादेव मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं तो वहीं रमणीक प्रतापनगर की सैर भी कर सकते हैं।
टिहरी बांध से सर्वाधिक प्रभावित प्रतापनगर के मठ मंदिरों और पर्यटन स्थलों तक सीधी बस और सुगम रास्ते न होने के वजह से इन्हें सही और उचित पहचान नही मिल पा रही हैं, प्रतापनगर का निवासी होने के नाते मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय और केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूँ कि सेम मुखेम को पाँचवा धाम सीघ्र घोषित करें, और साथ ही ऋषिकेश, देहरादून, दिल्ली से मुखेम और प्रतापनगर के लिए सीधी रोडवेज सेवा शुरू की जाए और यहाँ की मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ किया जाए,डोबरा चांठी पुल निर्माण सीघ्र हो,मांगे और समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है,फिलहाल मैं आप सभी मित्रों को सपरिवार भगवान नागराजा के तिवार्षिक मेले में आमंत्रित करता हूँ,और भगवान नागराजा से आप सभी के खुशहाली की कामना करता हूँ।भगवान नागराजा का आशीर्वाद हम सबके ऊपर सदैव बना रहे,हम सभी के परिवार खुशहाल रहे,इन्ही कामनाओं के साथ भगवान कृष्ण नागराजा को नमन करते हुए सेम जय श्रीकृष्ण नागराजा
जय गंगू रमोला।
चन्द्रशेखर पैन्यूली

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