परमार्थ निकेतन स्वर्ग आश्रम के स्वामी चिदानंद ने गंगा मैया पर अतिक्रमण करने से50 लोगों का रोजगार छीन रहे हैं

Pahado Ki Goonj

धर्म नगरी में अधर्म के कार्य कर धन कमाने का काम

ऋषिकेश ,परमार्थ निकेतन स्वर्ग आश्रम के स्वामी चिदानंद ने गंगा मैया पर अतिक्रमण करने से50 लोगों का रोजगार छीन रहे हैं।

स्वामी चिदा नंद के द्वारा नदीघाट पर अतिक्रमण कर दीवाल दी जा रही है घाट के ऊपर 50 स्थानीय बेरोजगार युवाओं का ठेली लगा कर अपने जीवन यापन करने के लिए रोजगार करते हुए लम्बे समय से आरहे हैं। स्वामी ने नदी पर अपने धन अर्जित करने के लिए अतिक्रमण कर सन्त होने पर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं वहीं इस प्रकार के कार्य करने से 50 लोगों को बेरोजगारी के मुहाने पर खड़ा कर दिया है।स्वामी तपस्या करने के नाम धन जोड़ने पर लगे हैं।सन्त ज्ञान प्राप्त करने के लिए बनते हैं स्वामी चिदा नंद सन्त का गेरुवा कपड़े पहनने पर धन लाभ के लिए अपराध को बढ़ावा देने के चलते रुपये की भूख बढ़ती जा रही है।दुनिया जनती है कि हरिद्वार में गंगा आरती सीढ़ियों के पास खड़े होकर सदियों से करते आरहे हैं।चिदा नंद मुनि ने परमार्थ निकेतन के आगे बस्तुशास्त्र के विपरीत नंदी के ऊपर अतिक्रमण  कार्य कर  गंगा आरती करने का ढोंग रचनाओं का काम करने वाले सन्त बने हैं।जहां विदेशी शराब पी कर गंगा आरती करते देखे जाते हैं।हिन्दू संस्कृति का मजाक उड़ाया जाता है उसका मुख्य कारण स्वामी के हमारे धर्म के प्रति निष्ठा का अभाव है।वह सिर्फ़ व सिर्फ सरकारी धन को बिना किसी कार्य किये हड़पने का कार्य करने वाले लोगों में गिनती उनका समाज करता है स्वच्छता अभियान के लिए5करोड़ रुपए शौचालय निर्माण का काम नहीं करने पर उनके समाज के लोग धन का गमन करना बताया जाता है।जिला प्रशासन को इसका संज्ञान लेते हुए अतिक्रमण को शीघ्र हटा दिया जाना चाहिए।सभी साधुओं को सन्तों के आचरण करने में आस्था रखे धन कमाने के लिए धर्म के साथ शराब पीने वाले लोगों से आरती करने से खिलवाड़ नहीं कर ने चाहिए इनसे लिखित रूप में लिया जाना चाहिए।वर्ष 1985 कुंभ के समय उप जिलाधकारी हरिद्वार के निर्देश पर हरकीपैडी के सदियों पुराने मकान तुड़ाई का काम कर बॉटल नाक हटाई है दबाव बनाने वाले लोगों को जेल भेजने के तैयार रहने के लिए अधिकारियों ने कहा।

आज ऐसे निर्णय लेने की जरुरत उत्तराखंड देव भूमि दैत्यराज से बचाने की आवश्यकता है। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता शरद चन्द्र मिश्रा जी ने साहसिक कदम युद्ध स्तर पर उठाया है यह उनके परिवार की धार्मिक आस्था का परिणाम है कि उनके मन मे धर्म को बचाने की वेल उमड़ती हुई बाहर निकल कर आई और सभी सम्बंधित अधिकारीयों को लिखित ,मौखिक रूप से अबगत कराकर अपने हिन्दू संस्कृति को बचाने का काम करने के लिए आगे आये हैं।यह गुण उनके समाज को जगाने के लिए धर्म की रक्षा करने के लिए है वह सर्वत्र बधाई के पात्र हैं।इनके अलावा अन्य लोगों को स्वर्ग आश्रम जोंक में बढ़चढ़ कर गैरकानूनी तरीके से अतिक्रमण हटाने के लिए आगे आने की जरूरत है नहीं तो वह स्वर्ग आश्रम की जगह नरक आश्रम में तब्दीलीकरने व होने के लिए सन्त के भेष में लुटरे का बोलबाला होगा।

 

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