चाय के पेड़ टी ट्री ऑयल के फायदे का लाभ लिया करें।

Pahado Ki Goonj

चाय के पेड़ टी ट्री ऑयल के फायदे –
1. बालों के लिए सबसे अच्छा तेल है टी ट्री आयल –
2. मुँहासे का घरेलू उपचार है टी ट्री ऑयल –
3. चाय के पेड़ का तेल बचाए बुखार से ।
4. टी ट्री आयल बेनिफिट्स वायरल संक्रमण मे।
5. टी ट्री ऑयल के लाभ उठाएं सर्दी में
6. टी ट्री ऑइल के फायदे बैक्टीरिया संक्रमण           के लिए ।
7. टी ट्री आयल के फायदे कीट निवारण में –
8. चाय के पेड़ का तेल है घाव में लाभदायक ।
9. टी ट्री आयल बेनिफिट्स बढ़ाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को –
10. टी ट्री ऑयल के औषधीय गुण फंगल संक्रमण से बचाएं –
बालों के लिए सबसे अच्छा तेल है टी ट्री आयल ।
टी ट्री एसेंशियल आयल के उत्तेजक गुण आपके बालों का ख्याल रखने के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। टी ट्री आयल के द्वारा बाल जल्दी बढ़ने लगते हैं। क्योंकि यह बालों के रोमछिद्र को खोलता है, साथ ही जड़ों को भी मजबूत बनाता है। टी ट्री तेल के उपयोग से जुओं और रूसी को भी हटाया जा सकता है। क्योंकि यह तेल जहरीला होता है, इसी वजह से यह जुओं को मारने में कारगर साबित होता है। सिर धोने से पहले इस तेल की मालिश करें और नहाते वक्त शैंपू में टी ट्री तेल की कुछ बुँदे मिलाएं और इससे रोजाना बालों को धोएं।
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मुँहासे का घरेलू उपचार है टी ट्री ऑयल ,
इस आवश्यक तेल के सिकात्रिसंट (Cicatrisant) गुण जल्दी से घाव को भर देते हैं और उन्हें संक्रमण से बचाते हैं। इसके अलावा, यह निशान और फोड़े, चेचक, और मुँहासे के धब्बो को बेअसर या कम करने के लिए मदद कर सकता है।
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चाय के पेड़ का तेल बचाए बुखार से –
रोगाणु इस तेल के खिलाफ खड़े नहीं होते हैं, क्योंकि यह एक अत्यधिक प्रभावी रोगाणुरोधी (antimicrobial) पदार्थ है। यह बुखार और मलेरिया पैदा करने के लिए जिम्मेदार कुछ रोगाणुओं (प्रोटोजोआ) को दूर या मार सकता है।
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टी ट्री आयल बेनिफिट्स वायरल संक्रमण में ,
वायरल संक्रमण बहुत खतरनाक होते हैं और अक्सर ये वायरस बहुत कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं। ये वायरस “पुटी” नामक एक सुरक्षा कवच अपने आसपास विकसित करते हैं। कुछ वायरस हर बार एक नया पुटी सक्रिय कर लेते हैं जैसे आम सर्दी वायरस। ये वायरस कभी भी स्वाभाविक रूप से नही मरते हैं।
चाय का तेल कुछ वायरस में इस पुटी को तोड़ने में मदद करता है और उनके खिलाफ संरक्षण दे सकता है। यह वायरल संक्रमण जैसे आम सर्दी, इन्फ्लूएंजा , गलसुआ, खसरा , चेचक के इलाज में भी मदद करता हैं। नहाने के पानी में कुछ बूंदे चाय का तेल मिला देने से मौसमी वायरल बुखार आदि का प्रभाव कम हो जाता है, क्योंकि यह एंटी वायरल भी है। यही नहीं, इस पानी से नहाने से गर्मी के दिनों में यह पसीने की दुर्गंध को भी समाप्त कर देता है।
टी ट्री ऑयल के लाभ उठाएं सर्दी में –
टी ट्री एसेंशियल आयल का उपयोग खांसी और सर्दी, ब्रोंकाइटिस और अन्य जुकाम के साथ जुड़े बीमारियों के लिए कर सकते हैं। इससे खांसी , सर्दी, ब्रोंकाइटिस और संकुलन से राहत मिलती हैं। कफ की समस्या होने पर गर्म पानी में टी ट्री आयल की कुछ बूंदे डालकर भाप लेने से कफ से निजात मिलती है। साथ ही साइनस की समस्या भी समाप्त होती है।
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टी ट्री ऑइल के फायदे बैक्टीरिया संक्रमण के लिए ,
आयुर्वेद में सदियों से चाय के पौधों के तेल को एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह त्वचा के अंदर और उसके ऊपरी परत पर मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। यदि टी ट्री ऑयल का प्रयोग नियमित किया जाए तो चेहरा बैक्टीरिया से मुक्त रहता है और उसकी रौनक बनी रहती है।
यह कुछ सबसे भयानक और खतरनाक जीवाणु में पाए गये संक्रमण का इलाज कर सकता है। घाव जिनमे बैक्टीरिया के संक्रमण से ग्रस्त होने का खतरा अधिक है, प्रभावी ढंग से ठीक और संरक्षित कर सकता है। इस तेल को शायद ही कभी मौखिक रूप(मुंह से) से लिया जाता है। यह तपेदिक के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
टी ट्री आयल के फायदे कीट निवारण में –
यह एसेंशियल आयल बैक्टीरिया और वायरस के लिए बहुत घातक और कीड़े या कीट के खिलाफ बहुत प्रभावी होता है। टी ट्री आयल एक कुशल कीट निवारक है। अगर अपने शरीर पर इस तेल को मल लिया जाए तो यह परजीवी और जैसे अन्य कीड़ों मच्छरों, फ्लीस या मक्खियों आदि को आपके आस पास आने नही देता है। यह आंतरिक कीड़ों को भी मारता है जैसे आंत के कीड़े, क्योंकि यह आपके शरीर और त्वचा द्वारा अच्छी तरह से अवशोषित (absorbed) किया जा सकता है।
चाय के पेड़ का तेल है घाव में लाभदायक –
खुले घाव जीवाणु और कवक के संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील (susceptible) होते हैं और इससे पूति (sepsis) या टिटनेस हो सकता है। इसलिए इन घावों की पहले से ही अच्छी तरह से देखभाल की जानी चाहिए। चाय के पेड़ का तेल एक उत्कृष्ट एंटीसेप्टिक के रूप में एक बहुत अच्छी औषधि हो सकती है। घावों या फोड़े को संक्रमण से बचाने के लिए, यह उन पर सीधे रूप में लगाया जा सकता है। आप रूई को इस तेल में भिगाकर घावों या फोड़े पर लगा सकते हैं। अगर आप कुछ दिनों तक दिन में पांच-छह बार इस तेल का इस्तेमाल करेंगे तो घाव ठीक हो जाएगा।
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टी ट्री आयल बेनिफिट्स बढ़ाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को,
इस आवश्यक तेल का हार्मोन के स्राव, रक्त परिसंचरण और सबसे अधिक प्रतिरक्षा प्रणाली पर उत्तेजक प्रभाव पड़ता हैं। यह संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और संक्रमण के कई अन्य प्रकारो के खिलाफ एक ढाल के रूप में कार्य करता है। यही कारण है कि यह अरोमाथैरेपी में भी काफी लोकप्रिय है, इसलिए नही कि यह अन्य तेलों के साथ अच्छी तरह से मिक्स किया जाता है, बल्कि यह कई अन्य आंतरिक लाभ भी देता है, किंतु आंतरिक लाभो के लिए आपको इस आवश्यक तेल को निगलने की ज़रूरत नही है।
टी ट्री ऑयल के औषधीय गुण फंगल संक्रमण से बचाएं –
टी ट्री ऑयल में मौजूद प्राकृतिक एंटीफंगल गुण फंगल संक्रमण का कारण बनने वाले कवक को दूर करने में मदद करता है। साथ ही इसके एंटीसेप्टिक गुण शरीर के अन्य भाग में संक्रमण को फैलने से रोकते हैं। यह सूजन और एथलीट फुट की जैसी बीमारियों के विकास को रोक कर उनका इलाज करता है। इसमें पैरों में खुजली, पैरों के नाखूनों का पीला और मोटा होना, त्वचा पर लाल चकत्ते और उनके चारों ओर खुजली होना जैसे संक्रामक रोग देखने को मिलते हैं।
किंतु आंतरिक फंगल संक्रमण बहुत खतरनाक होता है। टी ट्री ऑयल को कभी निगलना नही चाहिए, यह आपके लिए विषैला हो सकता है।
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टी ट्री ऑयल के नुकसान
टी ट्री आयल के बहुत से बेनिफिट हैं। लेकिन इसके इस्तेमाल में कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है। हालांकि स्थानिक तौर पर टी ट्री एसेंशियल आयल लगाने के कोई निहित जोखिम नही दिखते हैं –
कुछ दुर्लभ मामलों में, कुछ लोग एलर्जी के रूप में इस तेल के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।
एलर्जी के रूप में इस तेल के साइड इफेक्ट काफी गंभीर हो सकते हैं और इनमें मतिभ्रम, उनींदापन, कोमा, अस्थिरता, गंभीर चकत्ते, उल्टी, दस्त, सामान्य कमजोरी, पेट खराब, जैसी असामान्यताएं शामिल है।
इसे बच्चों से दूर रखना चाहिए।
टी ट्री ऑयल को लगाते वक्त यह आपकी आंखों और मुंह में शरीर के अंदर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।

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