कैशलेस व्यवस्था के नाम पर अब शुरू हुर्इ बैंकों की मनमानी

Pahado Ki Goonj

ऋषिकेश : नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बैंकों ने नेट बैंकिंग और पीओएस जैसी सुविधाओं के प्रति ग्राहकों को प्रेरित किया। मगर, अब कुछ बैंक ने जीरो रेंटल में उपलब्ध कराई गई पीओएस मशीनों पर रेंटल चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है। यहीं नहीं ग्राहकों से एरियर के रूप में भी रेंटल वसूला जा रहा है, जिससे ग्राहकों में रोष है। बैंकों के इस छलावे से नाराज कई ग्राहक अब अपने पीओएस लौटाने लगे हैं।

आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब एक हजार व पांच सौ रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी तो पूरे देश में हड़कंप मच गया था। इसके बाद लंबे समय तक बैंकों में नोट बदलने और जमा करने के लिए भीड़ उमड़ी। सबसे बड़ा सवाल यही था कि अर्थव्यवस्था किस तरह दोबार पटरी पर आ पाएगी। हालांकि, इसके बाद बैंकों ने तेजी से डिजिटल बैंकिंग की सुविधाएं उपलब्ध कराई और लोगों ने इसे अपनाया भी।

खुदरा व्यापरियों को लेनदेन के लिए पीओएस मशीनें उपलब्ध कराई गई। जिससे काफी हद तक नोटबंदी का असर कुछ कम हुआ। शुरुआती दौर में बैंकों ने व्यापरियों को जीरो रेंटल की मशीनें उपलब्ध कराई। मगर अब अचानक कुछ बैंकों ने पीओएस मशीनों पर रेंटल चार्ज लगा दिए हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा ने तो बाकायदा पिछले वर्ष का भी रेंटल ग्राहकों से वसूलना शुरू कर दिया है।

ऋषिकेश में अग्रवाल कम्युनिकेशन के संचालक मनीष अग्रवाल ने इस संबंध में बैंक प्रबंधन से शिकायत की है। उन्होंने अवगत कराया कि बैंक ने बिना किसी सूचना के उनके मई से दिसंबर 2017 तक आठ बार रेंटल चार्ज वसूल लिया है। जबकि पीओएस लेते समय उन्हें जीरो रेंटल पर मशीन उपलब्ध कराई गई थी। उन्होंने कहा कि एरियर वसूलना पूरी तरह से बैंक की मनमानी है, जिसके खिलाफ वह उपभोक्ता फार्म में शिकायत करेंगे।

वहीं बैंक ऑफ बड़ोदा के शाखा प्रबंधक का कहना है कि बैंक द्वारा जीरो रेंटल पर ही ग्राहकों को पीओएस मशीनें दी गई थीं। मगर, बीच में कॉरपोरेट द्वारा रेंटल चार्ज वसूलने के लिए एक सर्कुलर जारी किया गया। इस संबंध में कई ग्राहकों की शिकायतें बैंक को मिली हैं। कुछ ग्राहकों ने अपने पीओएस बैंक को जमा भी करा दिए हैं। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।

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