पहाडोंकीगूँज की खबर के76 दिन बादउत्तराखंड में पत्रकारिता पर अघोषित सेंशरशिप के विरोध में राष्ट्रपति व राज्यपाल को ज्ञापन

Pahado Ki Goonj

(कटे पर नमक डला नीम पंर करैला चढ़ा वह मेरे प्रदेश) 76 दिन बाद आया सरकार को अपना ज्ञापन देने के लिए सब पत्रकार साथी इक्कट्ठा हुए।

उत्तराखंड में पत्रकारिता पर अघोषित सेंशरशिप के विरोध में राष्ट्रपति व राज्यपाल को ज्ञापन*

भ्रष्टाचार व काले कारनामों को उजागर करने वाले पत्रकारों पर राजद्रोह की कार्यवाही का विरोध

*राजभवन जाने से रोकने का किया पुलिस ने प्रयास*

देहरादून। प्रदेश के लगभग दो दर्जन पत्रकार संगठनों की ओर से बनी उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में आज राजधानी दून के पत्रकारों ने
विगत काफी दिनों से उत्तराखंड सरकार द्वारा भ्रष्टाचार व काले कारनामों को निर्भीकता से उजागर करने वाले पत्रकारों पर राजद्रोह जैसे गम्भीर आरोप लगवा कर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार और मीडिया को कुचलने को जो क्रम चलाया हुआ है और कहर वरपाया जाने का क्रम जारी रखा है उसके विरोध में पत्रकार लामबंद हो गये हैं।
पत्रकारों व मीडिया कर्मिंयों पर पुलिस के द्वारा की जा रही उत्पीड़न, दमन की कार्यवाही एवं झूटे मुकदमें दर्ज कराकर उन्हें अकारण जेल भेजने की अशोभनीय व अपमान जनक कार्यवाही एवं तीन तीन वर्ष पुराने प्रकरणों पर निजी दुर्भावना से ग्रसित होकर अमानवीय एवं असंवैधानिक तरीकों से की गयी कार्यवाही के विरोध में आज प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती बेबीरानी मौर्य को राज भवन जाकर ज्ञापन सौंपा तथा एक ज्ञापन देश के माननीय राष्ट्रपति को भी हस्तक्षेप व चरमराती कानून व्यवस्था के विरोध में मैडम के द्वारा प्रेषित करवाया।

ज्ञापन में प्रदेश सरकार द्वारा अघोषित सेंशरशिप लगाकर पत्रकारों पर की जा रही दमनात्मक व उत्पीड़न की कार्वाही और झूठे मुकदमें दर्ज कराकर जिस तरह खुद पुलिस द्वारा असंवैधानिक व अमानवीय कृत्य किये जा रहे हैं के भी विरोध में दखल देने और पत्रकारों के साथ दुर्दांत शातिर अपराधियों की तरह लाकॅअप में बंद करने और अवैध रुप से यातनाओं के साथ पिटाई किये जाने का मामला भी उठाया गया।

हाल ही में कोटद्वार व हरिद्वार सहित अन्य पत्रकारों के साथ भी की गयी पुलिसिया कार्यवाही के मामलों को भी समम्लित किया गया।

ज्ञापन देने से पूर्व पत्रकार व मीडिया बंधु डूँगा हाऊस के पास सोशल डिस्टेंसिंग के अनुपालन के साथ इकठ्ठा हुये और अपनी अपनी बाजू में काला रिवन बाँध कर सांकेतिक रूप से अपना रोष भी जाहिर किया तथा यह निर्णय लिया कि पत्रकार जब तक काला रिवन नहीं हटायेंगे जब तक कि सरकार इस अघोषित सेंशरशिप को नहीं हटाती तथा पत्रकार राजेश शर्मा से राजद्रोह जैसे आपत्तिजनक मामले वापस नहीं लिये जातेऔर फर्जी मुकदमों को वापस नहीं लेती।

ज्ञापन देने जा रहे पत्रकारों को हाथीबड़कला पुलिस चौकी के पास पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर रोक लिया जबकि पत्रकार अनुशासनबद्ध रहकर अपने अपने वाहनों से राजभवन के संज्ञान के साथ ज्ञापन देने पूर्व निर्धारित समय के अनुसार जा रहे थे।

ज्ञापन देने के लिए इकठ्ठे होने वाले पत्रकारों में डा. वी डी शर्मा, संयोजक उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति, आलोक शर्मा, प्रदेश महामंत्री वेब मीडिया एशोसियशन, वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन आफ इण्डिया के प्रदेश महामंत्री सुनील गुप्ता, संगठन मंत्री रजनीश ध्यानी, देवभूमि पत्रकार यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष विजय जायसवाल, दीपक गुलानी, अनिल वर्मा, डा.गुल वहार अहमद, पर्वतजन से राजेश बहुगुणा एवं वीडियो जर्निलिस् पुण्डीर एवं पत्रकार असद खान, अशरफ अन्सारी, बाबी गुप्ता, गौरव तिवाडी, अर्पित गुप्ता, वीर सिंह चौहान, अखिलेश व्यास, सूर्य प्रकाश शर्मा, नवीन वरमोला, संजीव पंत, तिलक राज, मीनाक्षी, वरुण राठी, अहमद, दीपक छावडा, विजय रावत, सोमपाल सिंह, राजकुमार छावडा एवं श्रमजीवी पत्रकार यूनियन से विश्वजीत सिंह नेगी, गायत्री जी, बावी शर्मा, गोपाल सिंघल, ज्योत्सना सहित अनेकों संगठनों से जुडे़ पत्रकार सम्मिलित हुये।

पत्रकार साथियों के लिये 16 मई में निम्न समाचार सबके लिए भेज दिया था।साथ मेंमांगे पूर्ण होने के लिए 1 जुलाई2020 अपने बाजू य जेब पर काली पट्टी बांध कर रखेंगे। मई में प्रकाशित पत्र में निम्न बातों प्रकाशित की गईं

आगेपढें,। 

कटे पर नमक डला नीम पंर करैला चढ़ा वह मेरे प्रदेश

शुभप्रभात साथियों
कुछ लोग मुख्यमंत्री श्री को मिलने के लिए कैलाश जोशी के साथ पत्रकारों मुख्यमंत्री जी से कल्याण कोष राहत दिलाने के लिए गए थे।
पत्रकारिता करने वाले साथियों को75000 रूपये पत्रकार कल्याण कोष से दिलाने के लिए पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र में पत्रकारों की गूंज लगातार प्रकाशित किया गया था ।यह मदद 312 लाख के आस पास बैठती है।यह मद्त पत्रकारिता करने वाले लोगों को देने के लिए मा0 नारायण दत्त तिवारी जी दूर दृष्टि से बनाई गई थी जिसका सदुपयोग करने में मुख्यमंत्री जी को वाहिवहा किया जना है।
पर उनके सिपाही सलाकार हैं कि प्रदेश मे सरकार की छवि खराब करने से बाज नहीं आरहे हैं उन्हें ही बड़ी परेशानी होरही है।
पत्रकारों को डिप्रेशन में भेजने का यह सुनिश्चित मिशन है।खुशी और भी हो गई जब सूचना विभाग का बजट बिना देनदारी को नजरअंदाज करते हुए सिलिंडर कर किसको राष्ट्रीय स्तर पर परिष्कृत करने की योजना मुख्यसचिव जी राज्य में बनाने जा रहे हैं। धन्यवाद सूचना विभाग को असंवेदनशील बनाने के लिए।

अब इन मिलने वाले महान भाव लोगों ने गुड़ का गोबर कर 75000 का पत्रकारों को देने की माँग के लिए 15000 देने के लिए कहा है। क्या यह धन इनकी जेब का था जो कम किया है
जब वेतन के लिए मुख्यमंत्री कर्ज ले रहे हैं तो पत्रकारों के लिए सद्पुरुष तिवारी जी के बनाए गए कल्याण कोष में दिया गया प्रसाद क्यों नहीं पत्रकार साथियों को दिया जारहा है।जनता इसमें नाराज होकर एक ही बात कह रही है।कि मुख्यमंत्री का प्रेम बाहर से निकलने वाली अपने मित्रों के पत्र,पत्रिकाओं के लिये धन वर्षा होरही है।

अब महा सचिव न्यूज पोर्टल वेव चैनल संघठन ने सरकार के प्रवक्ता नगर विकास मंत्री मदन कोशिश से सवाल पूछने पर उन्होंने पत्रकारों के लिए संज्ञान लिया है अपने पोर्टल में न्यूज चलाई।उसके बाद ब्रह्दत शर्मा ने महानिदेशक डॉ बिष्ट की समाचार को प्रकाशित करने की नसीहत देते हुए फेसबुक पर डाली तो सही पत्रकारिता करने वाले पत्रकार बन्दुओं को उनके दर्शन पा कर उनको पहचानने के लिए याद करते रहे।अब फिर ब्रह्दत शर्मा जी ने उनके लिए विज्ञापन देने के लिए धन्यवाद दिया जब पत्रकारो ने ओर दैनिक समाचार पत्रों में पूर्ण पृष्ठ के विज्ञापन प्रकाशन की फ़ोटो पोष्ट कर उन्हें सचेत किया गया है कि आपको क्यों बनाया गया है। अब जनता का कहना है कि मुख्यमंत्री जी आपसे तो पत्रकार कल्याण कोष बढ़िया ढँग से पत्रकार होने के नाते बढ़ाना चाहिए था।पर विभाग ने नीम पर करैला चढ़ाने का काम के साथ साथ कटहुये पर नमक डालकर उत्तराखंड के पत्रकारों को डिप्रेशन में लेजाने का काम करते हुए संवेदनशील शील विभाग को असंवेदनशील बनाने का काम पत्र पत्रिकाओं की देन दारी को देखे बगैर विभाग का बजट वापिस कर अपनी जुमेदारी का निर्वाहन किया है।पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए विभाग है।उसकी हिफाजत का ध्यान रखना चाहिए।
इससे
*चरित्र एक वृक्ष है… और…*
*प्रतिष्ठा यश सम्मान उसकी छाया…*
*•••••लेकिन•••••*
*विडंबना यह है कि…*
*वृक्ष का ध्यान बहुत कम लोग रखते हैं…*
*और…छाया सबको चाहिए…*

*??सुप्रभात??*

 

 

 

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