बिहार के नेताओं की भांति उत्तराखंड में कब होगी सजा।

Pahado Ki Goonj

बिहार के चारा घुटाले के नेताओं की भांति उत्तराखंड के नेताओं को कई घुटालो के जुर्म में कब होगी सजा।यह भविष्य के गर्व में है। 2007 के चुनाव में हेलीकॉप्टर से जगह जगह जाकर पत्रकारों को साथ लेजाकर भुवन चंद्र खंडूरी जी सभाओं में बीजेपी सरकार बनने पर कांग्रेस के घुटालो को करने वालों को सजा दिलाने के नाम पर वोट माँगे ।नरेंद्र सिंह नेगी ने स्वार्थ वस नॉछमीनारायन कैसट ने विकास को प्रभावित किया आग में घी डालकर नेगी ने प्रदेश का बुरा किया। पहड़ी जनता को घुटालो की सजा दिलाने के नाम पर ठगा ।अपने आप को बचाने के लिये सारंगी को लाये उसने 10 रुपये की सीडी के साथ अन्य घुटालो को अंजाम दिला कर जनरल से सत्ता की सारंगी बजवादी,डॉ रमेश पोखरियल निशंक आये उनको भी कलंकित कर हटवा दिया उसकी सीढ़ी लोक गायक नेगी ने बनाई।ओरो की सीडी नेगी ने क्यों नहीं बनाई जनता को इसका ज़बाब नरेन्द्र सिंह नेगी को देना बाकी रहगया है। खंडूरी फिर आये उन्होंने बाहरी व्यक्ति को 200 गज जमीन ,पहाड़ पर स्वास्थ्य सेवा 5साल तक देने की डॉक्टरों को पढ़ाई करने में सबसे कम फीस देकर पहाड़ के पलायन रोकने के लिये अभिनव प्रयास किया ।उनको कोटद्वार के शैलेंद्र रावत की महत्वकांक्ष।  ने हरवा दिया ।अब जबकि पूर्ण बहुमत की सरकार में घुटालो कई बात गुम होगई जनता से किये वायदे पूरे नहीं हुए जनता ने तिवारी सरकार के विकास को देखते कांग्रेस परविश्वास जताया विजय बहुगुणा  ने भृष्टचार का आंतकवाद को जन्म दे दिया के नाम पर सत्ता से लेकर कांग्रेस से जना पड़ा अब हरीश रावत आये उनके सचिव से लेकर अपने आप भी स्टिंग के चक्कर मे आगये साथ ही गढ़वाल से कांग्रेस को साफ करने का काम कर अल्मोड़ा के50 से ज्यादा दायत्व धारी बनाने के बाद भी अपनी सुरक्षा नहीं कर पाये।बीजेपी ने उत्तराखंड को तवाह करने का काम सरकार गिरा कर बजट के अभाव में भुगतान नहीं हुये त्रिवेन्द्र सरकार जीरो बजट में जीरो टॉलरेंस की बात कर खनन समय पर न खुलवाने के नाम खेल देख रहे। अब प्रश्न यह है कि लोकायुक्त का गठन करने,घुटालो को सजा देने ,विकास के लिये डबल इंजन सरकार बनाने के नाम पर आई सरकार से 10 माह के कार्य काल के चलते नहीं लगता की दोषियों को सजा मिल पाएगी ।असल मे असली सजा के हकदार वोट देने वाली एक मात्र जनता बच्ची है जो अपने को वोट मांगने वालों की नीति नियत के कारण जहर खा कर अपने को येसी सजा देने के लिये मजबूर होना पड़रहा है जिसकी कल्पना भी नहीं कि जा सकती ।दुनियाभर में लोकतंत्र के नाम पर उसकी  हत्या करने  का पैगाम जहर खा कर आत्महत्या हत्या के लिये गैर जुमेदार सरकार उत्तराखंड ने देदिया। तो बेईमानी करने वालों को सजा देने वालों को उत्तराखंड वासी देख नही पारहाहै

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