जगत सिंह जंगली जी का सम्मान उत्तराखंड की जनता का सम्मान है -प्रो विद्या सिंह चौहान

Pahado Ki Goonj

देहरादून, देव भूमि में रचित वेदों में ऋग्वेद में बरणित है कि वनस्पतियों में देवताओं का बास रहता है ।पुण्य देव भूमि में देवताओं के स्थाई निवास को बनाए रखने के लिए एंव विश्व को पर्यावरण से बचाये रखने के लिए पेड़ पौधों को व्यबस्तिथ ढंग से लगा कर उनका संरक्षण कर दुनिया में जमीन जंगल जल को बढ़ावा देनेवाले देव भूमि उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चार धाम में श्री केदारनाथ, श्री बद्रीनाथ व हेमकुंड साहिब जाने वाले रास्ते श्री अगस्त ऋषि एंव स्वामी सचिदानंद ,आदिश्री जगद्गुरू शंकराचार्य श्रीमाधवाश्रम जी महाराज की तप एवं जन्म स्थली जनपद रुद्रप्रयाग निवासी पूर्व बी यस यफ सेवक ,उत्तराखंड वन विभाग,बी यस यफ के ब्रांड एम्बेसडर
पर्यावरण विद जगत सिंह जंगली के वन पोषित कार्यो से पृथ्वी को बचाने के लिए बहुत उत्कृष्ट कार्य को बढ़ावा देने के लिए आज के बाताबरण में नई पीढ़ी के साथ साथ युवाओं को सेवानिवृत्त होरहे उत्तराखंड के पहाड़ों में निवास करने वाले लोगों के लिए रोल मॉडल कर्म करते हुए हैं।मानव के लिए इनके पुरसार्थ का प्रदर्शन देख कर आने वाली पीड़यों को हमारे देश की संस्कृति व अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए कर्मयोगी के रूप में सभी प्रकार के पौधे को पालने के लिए वन सेवा जीव सेवा करने के बाद विकास की अलख जगाने में अभिनय कार्य कर रहे हैं।

उत्तरांचल प्रेसक्लब देहरादून में उत्तराखंड वेव पोर्टल ऐशोसियसन व पत्रकार जन कल्याण समिति ने सम्मानित किया गया है।अपने सम्बोधन में जीतमणि पैन्यूली अध्यक्ष उत्तराखंड वेब पोर्टल एसोसियसन एंव संरक्षक उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसियसन पूर्व संरक्षक श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति कर्मचारी संघ एवं सम्पादक पहाड़ों की गूंज ने कहा कि ऋग्वेद में बर्णन आया है कि वनस्पति में देवता वास करते हैं देवताओं के निवास करने के चलते मानव विकास को देखते हुए आज पृथ्वी को जीवित रखने वाले तत्व ,जल ,वायु ,जमीन, गगन दूषित होगया मात्र अग्नि दूषित होने को रह गई है उसको पेड़ पौधे को लगाकर बचाने के साथ साथ
उत्तराखंड में पोषित वनों से दी जाने वाली ऑक्सीजन से मानव सेवा करने के लिए उत्तराखंड के लिए रायल्टी देने से पलायन एंव जीवन यापन करने का संकट हमारी सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति के सहयोग से दूर हो सकता है । इसके जंगली जी ने पत्रकारों का धन्यवाद किया कि यह मुकाम आपके सहयोग से मुझे मिला और आगे इस लड़ाई को जीतने में आपका बड़ा योगदान रहेगा।हमारी संस्कृति बचाने की रचना वन में ऋषि मुनियों ने की है उनको बचाने के लिए इन की सेवा करने के लिए हम सभी के लिए तह दिल से काम करने के लिए तैयार रहने के काम को प्राथमिकता से लेना चाहिए।इसकी अलख जगत सिंह जंगली जी ने बड़े स्तर पर की है यह बहुत बृहद हृदय के मनीषियों में आपका सुंदर प्रयास है।पैन्यूली ने समारोह में हेमवतीनंदन नन्दन बहुगुणा विश्व विद्यालय (केंद्रीय विश्व विद्यालय) श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड से पधारे प्रोफेसर विद्या सिंह चौहान विभागाध्यक्ष मानव विज्ञान विभाग डॉ अरविंद डरमोड़ा जी का गोरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अन्तर मन से स्वागत किया ।उन्होंने कहा कि निराशाजनक बाताबरण में आज जो कुछ बचा हुआ है वह इस समाज के बातावरण के अंधेरे में प्रकाश देने का सही कार्य कर डॉ अरविंद जैसे गुरु के प्रयास बचाने के लिए कर दिखाई दे रहे हैं।इसका प्रकाश देश के सभी विश्व विद्यालयों के छात्र,छात्राओं में जायेगा और देश में हमारी संस्कृति सुदृढ़ होती रहेगी।

पैन्यूली ने समारोह में जनकारी देते हुए बताया कि जगत सिंह जंगली ने इस पुनीत कार्य को जल जंगल जमीन को महत्वपूर्ण कार्य मानते हुए “मन के हारे हार है मन के जीते जीत ” का अनुसरण कर युवा वर्ग के लोगों में पहले पहल अपने निजी भूमि के स्थान पर वन खड़ा कर उत्तराखंड के ही नहीं पूरे देश में निवास करने वाले लोगो को पद यात्रा कर अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अधिकार के लिए चेताया है

उल्लेखनीय यह है कि जगत सिंह जंगली द्वारा स्थापित मिश्रत वन में 150000 पेड़ पौधों से मानव जीवन को सुरक्षित रखने की मैकेनिज्म तैयार कर आदर्श प्रस्तुत किया है ।

प्रेसक्लब देहरादून में आयोजित इस सम्मान समारोह में प्रेस से चर्चा को संबोधित करते हुए जंगली जी ने कहा कि सरकार आज हमारे संसाधन का उपयोग तो कर रही है परंतु हमें असुभिधा से उभारने के काम में हमारे हक न नहीं दे रही है उन्होंने कहा कि प्रकृति में पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुविविधाता की सोच का होना जरूरी है, जिसके लिए मनुष्य को वृक्ष लगाने के लिए वनों को बढ़ाते रहना भी आवश्यक है। पेड़, पानी जीव की विविधता ही पर्यावरण संरक्षण का मुख्य आधार है,

सम्मान समारोह से पूर्व वेव पोर्टल ऐशोसियसन के अध्यक्ष जीतमणी पैन्यूली ने समारोह के संचालन करने का आग्रह प्रेम पंचोली जी से कराते हुए जगत सिंह जंगली को उनके कुल पुरोहित पत्रकार संजय किमोठी ने जंगली को मंच पर लाने का आग्रह किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो विद्या सिंह चौहान ने की , राजधानी गैरसैंण अभियान के संयोजक लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल ने स्वस्ति वाचन कर कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए जगत सिंह जंगल जी का जीतमणि पैन्यूली के साथ फूल माला पहना गर्म जोशी से स्वागत किया किया अध्यक्ष पीठ से चौहान जी ने अंगवस्त्र पंखी भेंट कर जगत सिंह जंगली जी का सम्मान किया। प्रो डॉ अरविंद दरमोडा जी ने माल पहना कर स्वागत कर सम्मान पत्र पढ़कर जंगली जी को भेंट किया।इस अबसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो विद्या सिंह चौहान एंव राजधानी गैरसैंण अभियान के संयोजक लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल ने कहा कि जगत सिंह जंगली को सम्मानित करना हमारी उत्तराखंड की जनता के लिए पर्यावरण, पलायन रोकने संस्कृति को बढ़ावा देना के सम्मान में समारोह आयोजित करना अनुकरणीय एंव उत्तराखंड का सम्मान है ।केंद्रीय विश्व विद्यालय श्रीनगर के प्रोफेसर डॉ अरविंद डरमोड़ा ने अपने अभियान के द्वारा अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान देेंने के बिचार रखे , उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसियसन के अध्यक्ष शिव प्रसाद सेमवाल ने जगत सिंह जंगली के वर्ष 1997 के टिहरी भ्रमण के समय उनके द्वारा पत्रकार साथयों के लिए मिठाई लाने के प्रश्न पर जंगली जीने उत्तर (को प्रेरणा दायक बताया है उनके जंगली जी के शब्दों की याद करते हुए) में कहा कि इतना रुपये तो पेड़ के नीचे पैदा होने वाले अदरक से हो जाता है ।इसमें भी जंगली जी का मिश्रत वन के फायदे करना दर्शाता है पत्रकार कल्याण समिति के सचिव आलोक शर्मा, आदिवासी समुदाय की रक्षा की बात को लेकर धरने पर बैठे जसवंत सिंह जंगपांगी,आदि को जगत सिंह जंगली ने सम्मानित किया सम्मान कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य लोग एंव पत्रकार मौजूद रहे।

जीतमणि पैन्यूली ने मंच संचालन करने के ओजस्वी युवा समाज सेवी प्रेम पंचोली पत्रकार का संचालन के लिए साधुवाद के साथ उज्वल भविष्य की कामना करते हुए आज के कार्यक्रम में परिचर्चा में सरीक हुए पत्रकार साथियों को अगले होने वाले कार्यक्रम में समाज को नई दिशा देने के लिए तैयार रहने के लिए आग्रह किया।

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