श्रीभगवान पाठक ने कारण सहित निर्वाचन अधिकारी को श्री नरेंद्र मोदी के नामाकन को निरस्त करने का पत्र लिखा है

Pahado Ki Goonj

श्रीमान रिटर्निंग ऑफिसर,

77 वाराणसी लोकसभा संसदीय क्षेत्र
वाराणसी

*विषय- श्री नरेंद्र मोदी के नामांकन पत्र की त्रुटियों को संज्ञान में लेते हुए उनका नामांकन पत्र निरस्त करने के बारे में।*

★1- सभी प्रत्याशियों को ट्रेजरी में ₹25000 जमा करने के बाद फार्म पर प्रत्याशी के नाम और नंबर लिखकर आवंटित किये गए हैं जबकि नरेंद्र मोदी ने जो फार्म जमा किया है कंप्यूटर से प्रिंट करके निकाला गया है और उस पर न तो निर्वाचन कार्यालय द्वारा न कोई नंबर पड़ा है न ही वह निर्वाचन कार्यालय से उपलब्ध कराया गया है। *बनावटी फॉर्म कैसे स्वीकार किया जा सकता है,जिसके कई हिज्जे मूल फॉर्म से अलग हैं?*

★2- कई कॉलम ऐसे हैं जिसमें स्पष्ट निर्देश है कि अभ्यर्थी *”टिक”* लगाए परंतु अभ्यर्थी द्वारा कोई “टिक” नहीं लगाया गया है अपितु फॉर्म में पहले से ही टिक का निशान कंप्यूटर से बना दिया गया है। उदाहरण के लिए धारा 5/1/ तथा धारा 6/1/ को देखा जा सकता है इससे यह सिद्ध होता है कि नरेंद्र मोदी ने फॉर्म नही भरे है *जब उन्होंने फॉर्म ही नहीं भरा फिर उनका पर्चा अवश्य निरस्त होना चाहिए ।*

★3- जहां पर कई विकल्प देकर फार्म में उनमें से लागू न होने वाले विकल्प को काटकर इंगित करने का प्रावधान है वहां श्री नरेंद्र मोदी के फॉर्म में पहले से ही *कंप्यूटर से मुद्रित फॉर्म* में वे विकल्प कटे दिखाए गए हैं। फॉर्म प्रिंट करने वाला मुद्रक स्वंय फॉर्म में दिये गए निर्देशों के अनुसार मुद्रण के समय ही काट छांट नही कर सकता। वह कार्य प्रत्याशी का है जो वह फॉर्म भरते समय करता है जो कि फॉर्म में नही किया गया है। उदाहरण के लिए पार्ट ए के आरम्भ में ही नरेंद्र मोदी की वल्दियत/सन/डॉटर/वाइफ में से एक विकल्प जिसे प्रत्याशी को चुनना है , उसे कंप्यूटर टाइप करने वाले ने ही चुन लिया है। प्रश्न यह है कि *फॉर्म कौन भर रहा है? नरेंद्र मोदी या कंप्यूटर डेटा ऑपरेटर??*
इसी तरह पार्ट 4 धारा 1 तथा धारा 3 के उत्तर में भी देखा जा सकता है।
उपर्युक्त सभी तीन जगहों पर काट दिए गए स्थानों पर स्वंय कलम द्वारा अभ्यर्थी को काटने का कार्य करना चाहिए यदि कंप्यूटर से ही करना हो तो फॉर्म भरने का क्या मतलब है?
यदि सबकुछ पहले से निर्धारित है तो फिर विकल्पों के लिखने की आवश्यकता ही क्या है?? बिना विकल्पों के ही सही उत्तर लिख फॉर्म जमा किया जा सकता था। विकल्पों के फॉर्म पर अंकित करने का सीधा मतलब नही है कि उन विकल्पों में से समुचित विकल्प को स्वीकृति और लागू न होने वाले विकल्पों की अस्वीकृति प्रत्याशी द्वारा किया जाना अभीष्ट है, जो कि नही किया गया है *अतः श्री नरेन्द्र मोदी जी के पर्चे निरस्त किया जाना चाहिए।*

★4- सामान्य व्यवहार कुछ इस तरह का है कि यदि कंप्यूटर से निकाले गए फार्म में कंप्यूटर से कुछ उत्तर बनवा दिए जाते हैं तो इस बात को बताने के लिए कि यहां जो टिक या कट लगाया गया है वह हमारे निर्देश / जानकारी और इच्छापूर्वक लगाया गया है। इसके लिए प्रत्याशी/अभ्यर्थी को उस स्थान पर इनीशियल बनाना आवश्यक होता है जो कि प्रस्तुत फॉर्म में नही किया गया है। *इसलिए भी नरेंद्र मोदी जी के इस फॉर्म को निरस्त करना चाहिए।*

★5- नरेंद्र मोदी जी के शपथ पत्र 26/4/ए में पांच और पांच कुल दस रुपये के नोटरीयल टिकट लगाए गए हैं परन्तु नियमानुसार उन्हें शपथ पत्र के तैयार होते ही कैंसिल कर देना आवश्यक होता है परन्तु उनके शपथपत्र उपर्युक्त में ऐसा नही किया गया है। *इस कारण से भी उनका पर्चा रद्द करना चाहिए।*

★6- यह भी नियम है की नोटरी को अपनी मुद्रा संबंधित कागजात पर अंकित करते हुए उस पर अपने हस्ताक्षर के साथ दिनांक और समय को अंकित करना आवश्यक है परन्तु श्री नरेंद्र मोदी के शपथ पत्र/पर्चे में समय का उल्लेख नोटरी द्वारा नही किया गया है जो कि त्रुटि है। *अतः इस कारण से भी त्रुटिपूर्ण पर्चे को खारिज किया जाना न्याय होगा।*

★7- श्री नरेंद्र मोदी ने स्पाउस के रूप में जसोदाबेन का नाम तो दिया है परंतु उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दिए है। यह कैसे संभव है कि व्यक्ति अपने स्पाउस के बारे में कुछ जानकारी न रखता हो। इसका सीधा सा मतलब हे कि वह चुनाव आयोग से जानकारी छुपा रहा है। *जानकारी छुपाना निश्चित रूप से अपराध है इस कारण से भी यह पर्चा अवैध घोषित किया जाना चाहिए।*

★8- श्री नरेंद्र मोदी के पर्चे में जसोदाबेन की जानकारियां देते समय पांच कॉलम के लिए सिर्फ एक बार “नॉट नॉन” लिख दिया और ऐसा कोई चिन्ह नही बनाया गया है कि जिसमें प्रतीति या अनुमान हो कि यह उत्तर सभी पांचों कॉलमों के लिए है।

यहाँ विशेष ध्यान देने की बात है कि हमारे पर्चे इसी आधार पर खारिज किया गया है कि “श्रीभगवान” जी ने अपराधों की जानकारी देते हुए “लागू नही” शब्द लिखा था *जिसका मतलब ‘पांचों का यही उत्तर है’ यह होता है।* परन्तु हमारे प्रत्याशी का पर्चा खारिज कर दिया गया पर नरेंद्र मोदी ने अपने पांचों कॉलमों के लिए बिना किसी प्रकार का चिह्न लगाए केवल एक बार “नॉट नोन” लिख दिया तब भी उनके पर्चे को वैध घोषित कर दिया गया। यदि हमारे पर्चे के लिए ऐसा नियम है तो नरेंद्र मोदी के लिए क्यो नही?
*यह बहुत मजबूत साक्ष्य है जिसके आधार पर नरेंद्र मोदी का पर्चा अवश्य खारिज होने चाहिए।*

★9- श्री नरेन्द्र मोदी के शपथपत्र के पार्ट ए धारा 4 की तीसरी कंडिका में भी उपर्युक्त त्रुटि स्पष्ट रूप की गई है जिसमे पांच कॉलम के लिए बिना किसी संकेत के केवल एक बार “नॉट एप्लीकेबल” लिखा है।आश्चर्य है कि स्वंय को न्यायप्रिय एवं दबाव में न होने की दुहाई देने वाले चुनाव अधिकारी ने पाँच कॉलम के लिए एक उत्तर में से पांचों का उत्तर किस आधार पर मान लिया?? *इस आधार पर भी निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी जी का पर्चा खारिज होने चाहिए।*

★10- श्री नरेन्द्र मोदी के शपथ पत्र भाग 4 की धारा 4 के जिज्ञास्य बिंदु 4 में भी इसी तरह की त्रुटि स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है। जहां पांच प्रश्नों के लिए एक ही उत्तर दिया गया है। पांच प्रश्नों का एक ही उत्तर प्रत्याशी ने दिया और चुनाव अधिकारी ने वह उत्तर पांचों प्रश्नों के लिए किस आधार पर मान लिया। यदि एक दिया गया उत्तर पांचों के लिए था तो किस संकेत या कथन से उन्हें इस बात का पता चला? उन्हें अवश्य भारत की जनता को बताना चाहिए । वह बताएं या ना बताएं *परंतु जिस आधार पर हमारे प्रत्याशी का पर्चा खारिज किया है उससे अधिक गलत श्री नरेंद्र मोदी के पर्चा है अतः इसको अवश्य खारिज करना भारतीय लोकतंत्र और न्याय के हित में है।*

★11- इसी तरह नरेन्द्र मोदी के शपथपत्र पार्ट 4 की धारा 4 के जिज्ञास्य बिंदु 5 में भी इसी तरह की त्रुटि स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है जहाँ पांच प्रश्नों के लिए एक ही बार उत्तर दिया गया है। *जो कि विधि विरुद्ध है अतः नरेंद्र मोदी का पर्चा खारिज किया जाना चाहिए।*

★12- नरेन्द्र मोदी के शपथपत्र पार्ट 4 की धारा 4 के जिज्ञास्य बिंदु 6 में भी इसी तरह की त्रुटि स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है जहां पांच प्रश्नों के लिए एक ही बार उत्तर दिया गया है। *क्या इसलिये नरेंद्र मोदी का पर्चा वैध घोषित किया जाना चाहिए कि वह प्रधानमंत्री है और उन्हें गलतीं करने की छूट है?*

★13-श्री नरेन्द्र मोदी अपने नामांकन पत्र में 2013 से 2018 तक फ़ाइल किये गए रिटर्न्स को प्रदर्शित किया है परन्तु आर्थिक वर्ष 2018-19 बीत जाने के बाद भी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल नही किया और न उसकी कोई जानकारी दी गयी है। जबकि 31 मॉर्च को आर्थिक वर्ष बीत चुका है और वे 25 अप्रैल को पर्चा भर रहे हैं। *इस आधार पर भी उनका नामांकन खारिज किये जाने योग्य है।*

★14- शपथ पत्र पार्ट ए के धारा 4 के द्वितीय बिंदु जिसमें स्पाउस के रूप में जसोदाबेन का नाम लिखा गया है वहीं उनके नाम के आगे पैन की जानकारी मांगी है जिसमे पैन न0 लिखना है परन्तु लिखा गया है “नॉट नोन”। जबकि इस धारा के अंत मे स्पष्ट टिप्पणी लगाई गई है- “it is mendetory for pan holders to mentain pan and in case of no pan it should be clearly stated no pan allotted”

“नॉट नोन” लिखने का कोई ऑप्शन ही नही है। फिर भी लिखा गया है। एतावता श्री नरेन्द्र मोदी का पर्चा अवैध है। *तत्काल खारिज किया जाना न्यायसंगत होगा।*

★15- शपथपत्र पार्ट 4 की धारा 6ए साफ कहती है कि जो लागू न हो उसे कैंडिडेट को ‘नोट एप्लीकेबल’ लिखना चाहिये। शब्द है’ candidates to whom this item is not applicable should clearly write not applicable in view of entries in 5/1/and 6/1/ above. ध्यान दें यहां “लिखना” शब्द का प्रयोग किया गया है न कि छापने या टाइप करने का। अपेक्षा यही की गई है कि प्रत्याशी फॉर्म को खुद भरेगा परन्तु श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नॉट एप्लीकेबल शब्द लिखा नही गया है बल्कि छापा गया है। जो कि फॉर्म में दिए गए निर्देश का स्पष्ट उल्लंघन है। *इस कारण से भी नरेंद्र मोदी का पर्चा खारिज करना ही न्याय की रक्षा है।*

★16- श्रीमती जसोदाबेन को स्पाउस के रूप में पर्चे में निरूपित किये जाने के बावजूद सम्पत्तियों के प्रदर्शन के क्रम में “नोट नोन” लिखकर जानकारियों को छिपाया गया है जबकि उन्हें “डिपेंडेंट” की श्रेणी में भी नही डाला गया है कि यह मान लिया जाय कि उनकी कोई अलग आय नही है। यदि वे डिपेंडेंट नही है तो निश्चित रुप से उनकी कोई न कोई आय होगी जिसे चुनाव आयोग के सामने रखना आवश्यक था पर ‘नॉट नोन’ कहकर उस पर पर्दा डाल दिया गया है। क्या यह एक पति की जिम्मेदारी नही होती कि वह अपने स्पाउस के बारे में मांगी गई जानकारी निर्वाचन आयोग को दे? यदि वे कहते है कि जसोदाबेन पत्नी तो है पर मेरे साथ नही रहती तो इसलिये मुझे जानकारी नही है तो यह गलत जवाब होगा क्योंकि एक पति का दायितब है कि वह पत्नी को अपने साथ रखे। यदि वह नही रखता तो हम इसके लिए बाध्य नही करेंगे और उसे कम से कम एक जिम्मेदार प्रत्यशी होने के नाते निर्वाचन आयोग को पूछी गयी जानकारी उपलब्ध कराना चाहिए था पर दुर्भाग्य से देश के प्रधानमंत्री पद पर रह चुका व्यक्ति भी निर्वाचन आयोग के सामने स्पाउस की आमदनी पूछे जाने पर निहायत गौर जिम्मेदाराना उत्तर ‘ नॉट नोन’ देता है और उससे अधिक दुर्भाग्य यह है कि निर्वाचन आयोग जो लिखने के तरीकों को भिन्न भिन्न होने का बहाना बनाकर लोगो के प्रवाह खारिज कर देता है वह इन निहायत गैर जिम्मेदा प्रत्याशी के पर्चे स्वीकार कर लेता है।

ये घटनाएं देश के दुर्भाग्य को दर्शाएंगी और निर्वाचन सदन की चापलूसी को भी आने वाले सैकड़ो वर्षो में तक निर्वाचन के इतिहास अध्येताओं के समक्ष रेखांकित होंगी।
*जानकारी छिपाकर ‘नही जानते’ जैसा उत्तर देने के कारण नरेंद्र मोदी का पर्चा खारिज होने चाहिए*

★ 17-लोक प्रतिनिधित्व कानून 1957 की धारा 77 ख के अनुसार प्रत्येक प्रत्याशी को अपने निर्वाचन व्यय का सही विवरण देना आवश्यक होता है यह कानून पर्चा भरने के दिन से लागू होता है।
वर्तमान में चुनाव आयोग द्वारा एक सांसद को अपने पूरे चुनाव में अधिक से अधिक 70 लाख रुपये खर्च करने की सीमा गनाई गई है । श्री नरेंद्र मोदी ने पर्चा दाखिला के एक दिन पहले अपने रोड शो में करोड़ों रुपये खर्च और पर्चा दाखिला के दिन निजी विमानों से अपने समर्थन में अनेक विशिष्ट जनों को बुलाकर शक्ति प्रदर्शन किया । यदि पर्चा भरने के पहले दिन के रोड शो को लोग छोड़ भी दे तो पर्चा भरने के दिन प्रकाश सिंह बादल, उद्धव ठाकरे, अमित शाह, श्री योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह आदि अनेक नेता आए थे । इनके चार्ट विमान के ख़र्चों, होटलों में रुकने , खाने पीने आदि को ही अगर देख लिया जाए तो यह खर्चा एक करोड़ से उपर चला जाता है ।

इसका मतलब यह हुआ कि पहले ही दिन खर्च के लिए 70 लाख की निर्धारित अधिकतम राशि से अधिक खर्च उन्होंने कर दिया है । चुनाव आयोग को इस बारे में संज्ञान लेकर कार्यवाही करनी चाहिए । नोटिस देकर सही खर्च जानना चाहिए था परन्तु ऐसा कुछ नही हुआ। *इस कारण से भी नरेन्द्र मोदी का पर्चा अवैध घोषित होना न्यायहित और चुनाव में अत्यधिक खर्च कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक है ।*

★18 -कानून है कि जब दम्पति को कोई सन्तान न हो तो इस दशा में पत्नी के धन की वारिस पति ही होता है । ऐसे में पत्नी के धन का विवरण न देना सत्यता को छिपाना है । तथ्यों को छिपाकर दिया गया शपथ पत्र किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं हो सकता । यदि वाराणसी के रिटर्निंग आफिसर पक्षपात न कर रहे होते तो इस तरह का भ्रामक व तथ्यों को छिपाने वाले शपथ पत्र को किसी भी दशा में स्वीकार नहीं करते । क्या थी नरेन्द्र मोदी अपनी पत्नी से पूछकर निर्वाचन आयोग को यह जानकारिया नहीं दे सकते थे ? क्या ऐसा न करना उत्तम आचरण है ?
*अतः उनके पर्चे निरस्त किये जाने की मांग करते है ।★19- विधि की दृष्टि में सभी नागरिक का एक ही प्रास्थिति के हैं। विधि और निर्वाचन आयोग की दृष्टि में भी प्रत्याशी को एक जैसे होने चाहिए परन्तु जहां बाकी प्रत्याशियों को कई कई घण्टे लाइन में लगकर पर्चा भरने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ी वहीं श्री नरेन्द्र मोदी के आने पर बाकी प्रत्याशियों को बहुत दूर बेरिकट बनाकर रोक दिया गया और बहुतों को बाईपास करके एक मिनट की भी प्रतीक्षा कराये विना नामांकन दाखिल करने दिया गया जो कि लोकतांत्रिक भावनाओं के सर्वथा विपरीत है । भारत के संविधान में प्रदत्त समानता के अधिकार को भी इस आचरण से ठेस लगी है । किसी भी दृष्टि से इसे आदर्श आचरण तो नहीं ही कहा जा सकता है । अपने द्वारा घोषेित आचार संहिता को आदर्श आचार संहिता कहने वाले निर्वाचन आयोग द्वारा *इस आधार पर भी नरेंद्र मोदी का पर्चा खारिज करना न्यायसंगत होगा।*

★20 -श्री नरेन्द्र मोदी के पर्चे को नोटेरिफाय करने वाले नोटरी श्री वीपी सिंह का लाइसेंस न0 2508 है जो कि जानकारी के अनुसार विगत 12-11- 2018 को समाप्त हो चुका है । अभी उनका लाइसेन्स नवीनीकृत नहीं हुआ है । ऐसी स्थिति में भी वैधानिक दृष्टि से भी नरेन्द्र मोदी जी का शपथ पत्र अवैधानिक हो जाता है जिसे खारिज किया जाना आवश्यक है । .

★21- नोटरी एक्ट 1957 तथा उसमे किये अमेन्डेन्ट के अनुसार नोटरी सील में किस तिथिसे किस तिथि तक वैधता है यह उल्लिखित करना अनिवार्य है पर नोटरी श्री वी पी सिंह के द्वारा भी नरेन्द्र मोदी के शपथपत्र में लगाई गई सील में कहीं तिथि उल्लिखित नहीं है । अतः यह अवैधानिक है । इस कारण से भी श्री नरेन्द्र मोदी का पर्चा अवैध है।

उपर्युक्त 21 बिन्दुओं के अतिरिक्त भी अनेक विन्दु हो सकते हैं पर वर्तमान में हम आपश्री के समक्ष 21 बिंदु रख रहे हैं । वाराणसी संसदीय क्षेत्र – ७७ के निर्वाचन अधिकारी द्वारा उपर्युक्त में से सभी या किसी भी एक या एकाधिक तथ्य के अनुसार श्री नरेन्द्र मोदी का नामांकन पत्र अवैध घोषित किया जाना न्याय की परिधि को बढ़ाने वाला होगा । *अतः हमारी मांग है कि श्री नरेन्द्र मोदी के पर्चे को अवैध घोषित किया जाय*

*भवदीय*
श्रीभगवान् पाठक

गलत ढंग से निर्वाचन अधिकारी द्वारा खारिज पर्चा प्रत्याशी
मो ९१५५७५१४२
वास्ते

*प्रतिलिपि*मुख्य निर्वाचन आयुक्त
भारत निर्वाचन आयोग
अशोक रोड नई दिल्ली ।

बाबा लोग अपने तप से  काशी की सड़कों पर झूठ बोलने वाले मोदी जी को वोट नहीं देने के लिए प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

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