भलड़ियाना लम्बगांव के मोटर पुल जलकुर नदी पर मरोमत होने तक बंद रहेगा

Pahado Ki Goonj

 चिन्यालीसौड़ (मदन पैन्यूली):ऋषिकेश,नई टिहरी,चिन्यालीसौड़ को प्रतापनगर क्ष्रेत्र से जोड़ने वाले चौंधार जणगी,भैंगा के बीच जलकुर नदी पर बने पुल के जर्जर हालत को देखते हुए उसे आज से मरम्मत पूर्ण होने तक बन्द किया गया है जिससे प्रतापनगर, लम्बगॉव ,गाजणा की जनता को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा,इस पुल के बन्द होने से लम्बगॉव से ऋषिकेश ,देहरादून या नई टिहरी आने जाने के लिए लम्बे सफर पीपलडाली पुल से आवागमन करना पड़ेगा,आपको बता दें जलकुर नदी का पुल बन्द हुआ है न कि स्यांसु झूला पुल अतः यदि कोई यात्री उत्तराकाशी या ऋषिकेश चम्बा से अपने वाहन से भैंगा,जणगी,गोलाणी,कोरदी, सिलारी,हलेथ,बेथ्याणा, मणि,कुमरड़ा,आदि गॉव जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं, निजी वाहन से भैंगा,गोलाणी होकर बागी,भरपूर से स्यालगी होते हुए लम्बगॉव भी जा सकते हैं, साथ ही गोलाणी से बागी,भैंतलाखाल,पनियाला,बिजपुर होकर लम्बगॉव भी जा सकते हैं।
लम्बगॉव थानाध्यक्ष प्रकाश पोखरियाल ने बताया कि जलकुर पुल जर्जर हो चुका था जिस कारण लोनिवि ने उसके मरम्मत का निर्णय लिया है अब वो कितने दिन में कार्य पूरा करेंगे ये तो लोनिवि के अधिकारी ही स्प्ष्ट बता पाएंगे,लेकिन उम्मीद करता हूँ क्षेत्रीय जनता की समस्याओं को देखते हुए जल्द पुल का मरम्मत कार्य पूर्ण होगा।
टिहरी बांध से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर को जोड़ने के लिए 2006 से डोबरा चांठी पुल बन रहा है जो 100 करोड़ से अधिक खर्च होने के वावजूद, अभी भी अधूरा है जिस कारण लोगों को बेहद मुश्किलों भरा सफर करना पड़ता है।
क्षेत्रीय विधायक विजय सिंह पँवार,लोनिवि के अधिकारयों से आग्रह है कि प्रतापनगर को जोड़ने वाले जलकुर नदी पर बने जणगी चौंधार पुल को जनता की समस्याओं को देखते हुए जल्द से जल्द मरमम्त कर इसे सुचारू रूप से छोटे वाहनों के आवागमन हेतु बनाया जाये,ताकि लम्बगॉव प्रतापनगर वालों को पीपलडाली रजाखेत,धारकोट से लम्बा सफर तय न करना पड़े।

प्रश्न यह है कि 2005 के समय बना यह पुल इतने सालों में मरोमत करने के लायक कैसे होगया इसके पीछे घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग करने से यह स्थिति बनती है आपको बताते चलें कि लम्बगांव से उत्तरकाशी मार्ग पर 1963 के बने पुल के ऊपर प्रयोग में लाया गया निर्माण कार्य की सामग्री की अच्छी गुणवत्ता से आज भी मरोमत करने की जरूरत नहीं है।इतना बड़ा समय बीत जाने के बाबजूद पुल मजबूती से यातायात के लिए ठीक है। इस पुल के बनाने में घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग करने की जांच होनी चाहिये।मरोमत के व्यय का खर्चा उस समय के जुमेदार लोगों से वसूल किया जाना चाहिए।

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