डोबरा-चांठी  पुल का ज्ञान गिना रहा हमारी खान दान

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डोबरा-चांठी  पुल का ज्ञान गिना रहा हमारी खान दान

डोबरा-चांठी पुल का सस्पेंडर टूटने से सेगमेंट टेढ़ा हुआ

मानवीय भूल के कारण हुई घटना, दो माह आगे खिसक सकता है पुल निर्माण का लक्ष्य

नई टिहरी। इरेक्शन के दौरान डोबरा-चांठी पुल का सस्पेंडर चांठी साईड की ओर टूटने से एक सेगमेंट (मुख्य पुल की प्लेट) टेढ़ा हो गए। इंजीनियरों की सूझबूझ से बड़ा हादसा होने से टल गया। फिलहाल जिस ओर से सस्पेंडर टूटे हैं वहां पर कार्य बंद है। दो-तीन दिन में सेगमेंट को लिफ्ट किया जाएगा। इससे जनवरी 2018 में पुल बनने के लक्ष्य में थोड़ा देरी हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार मानवीय भूल के कारण यह घटना हुई है।

23 अगस्त को सांय करीब सात बजे बहुप्रेक्षित डोबरा-चांठी पुल के सेगमेंट के इरेक्शन के कार्य अन्य दिनों के तरह चल रहा था। अचानक पहला सस्पेंडर लोड़ को उठाते वक्त टूट गया जिस कारण एक सेगमेंट टेढ़ा हो गया। एक सेगमेंट में चार प्लेट होती हैं। इस दौरान वहां कार्य कर रहे मजदूर और कर्मी दूर भाग गए जिस कारण कोई बड़ा हादसा होने से टल गया। डोबरा की ओर से जहां दो सगेमेंट के इरेक्शन का कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो गया वहीं चांठी की ओर से पहले सेगमेंट की इरेक्शन के दौरान यह हादसा हो गया। बताया कि एक सस्पेंडर पर लोड आने से चार अन्य सस्पेंडर भी टूट गए। फिलहाल इस ओर से कार्य बंद है। डोबरा-चांठी प्रोजेक्ट के अधिशासी अभियंता केएस असवाल और सहायक अभियंता एसएस मखलोगा ने बताया कि दोनों ओर से बारी-बारी से सेगमेंट को जोड़ा जाना है। कार्य के दौरान जल्दबाजी के चलते मानवीय भूल से यह हादसा हुआ है। उन्होंने बताया कि पुल की तकनीकी में कोई दिक्कत नही हैं। कहा कि पुल निर्माण के दौरान इस तरह की घटनाएं सामान्य बात है। हालांकि इसकी जानकारी संबंधित ठेकेदार और कोरियन कंसलटेंट को दे दी गई है। जल्द ही उनके एक्सपर्ट भी यहां का दौरा करेंगे। उन्होंने बताया कि एक प्लेट का वजन करीब दो टन है। दो दिन में एक सेगमेंट जोडा जा रहा है। ऐसे में पुल निर्माण का जो लक्ष्य इस वर्ष दिसंबर रखा गया है उसमें दो-तीन माह की देरी हो सकती है। बताया कि फिलहाल 40 एमएम लोहे के रस्से सेगमेंट को उठाने के लिए लगाए जा रहे हैं। तीन-चार दिन में यह कार्य पूरा हो जाएगा।

440 मीटर स्पान का है डोबरा-चांठी सस्पेंशन पुल

नई टिहरी। टिहरी बांध की झील के कारण अलग-थलग पड़े प्रतापनगर क्षेत्र और उत्तरकाशी जिले की गाजणा पट्टी के लिए टिहरी बांध की झील के ऊपर एशिया का सबसे ऊंचा और लंबा 440 मीटर स्पॉन का सस्पेंशन पुल बनाया जा रहा है। वर्ष 2006 से निर्माणाधीन यह पुल विभिन्न कारणों से अब तक पूरा नहीं हो पाया है। पूर्व में सिविल वर्क पर इस पुल पर करीब 135 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। लेकिन इसका डिजायन फेल हो गया था। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कोरियन कंपनी योसीन इंटरेनशनल से दुबारा डिजायन करवाकर मै0 प्रिल कंपनी के सहयोग से पुल निर्माण शुरू करवाया। अब तक इस पर करीब 92 करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं। वर्तमान भाजपा सरकार ने नाबार्ड से लोन लेकर पुल पर कार्य शुरू करवाया है। दिसंबर 2018 तक पुल निर्माण पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है। 18-आर लोडिंग कैपेसिटी के इस पुल के ऊपर अधिकतम 18 टन वजन के वाहन गुजर सकते हैं। पुल के दोनों ओर पैदल पाथ बनाया जाएगा। जबकि डेढ़ लेन पर वाहन चलेंगे। ईई असवाल ने बताया कि दोनों साईड में टोल प्लाजा लगाया जाएगा, ताकि क्षमता से अधिक वाले वाहन की पुल पर एंट्री न हो सके। 12 वायर का गुच्छा मेन केबल बंचर पूरे पुल को थामे रखेगा।

 

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