दलाली को रोकने और हक की लड़ाई का अभियान है डिजिटल इंडिया: PM मोदी

Pahado Ki Goonj

नयी दिल्ली। डिजिटल इंडिया के आलोचकों को जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि दलाली को रोकने का अभियान ‘डिजिटल इंडिया’ है जिससे परेशान होकर दलाल और बिचौलिये तरह-तरह की अफवाह फैलाने में लगे हैं लेकिन गांव, गरीब, किसान के सशक्तीकरण एवं लोगों के हक की लड़ाई के माध्यम डिजिटल इंडिया को और मजबूत बनाने को सरकार प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि यह अभियान दलाली बनाम डिजिटल इंडिया का है और लोगों को अपने हक की लड़ाई के इस डिजिटल माध्यम का पूरा उपयोग करना चाहिए। डिजिटल इंडिया के लाभार्थियों के साथ डिजिटल माध्यम से चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि जब डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी तब कुछ लोगों ने इसकी कितनी आलोचना की थी। कहा था कि जिस देश में गांवों में ऐसी सुविधा नहीं है, लोग तकिये के नीचे पैसा रखते हैं, बिचौलिये बीच में पैसा खाते हैं, वहां यह कैसे चलेगा। लेकिन आज घर में काम करने वाली महिला मीनू, 10वीं एवं 12वीं में पढ़ने वाली लड़कियों, सपेरा समुदाय से आने वाली बालिका ने इस माध्यम का उपयोग करके आलोचकों को जवाब दे दिया है।

मोदी ने कहा, ‘लेकिन आज जब गांव, गरीब, किसान इस माध्यम का उपयोग कर रहा है तब कुछ लोग नयी-नयी अफवाह फैला रहे हैं। कह रहे हैं कि इसमें सुरक्षा नहीं है। इस साजिश के पीछे वे लोग है जिनकी दुकानें बंद हो गई हैं। बिचौलियों के कमीशन बंद हो गए हैं। ऐसे में वे लोग नयी-नयी अफवाहें फैला रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि ऐसे लोग इस तरह की अफवाहें इसलिये फैला रहे हैं क्योंकि इसके कारण कालाबाजारी बंद हो रही है और रूपये की सुरक्षा बढ़ी है। अब बिचौलिये तो ऐसा करेंगे ही क्योंकि उनकी दुकानें बंद हो गई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई कितनी भी गाली क्यों न दें लेकिन हमें देश को आगे ले जाना है और यह दिख रहा है कि देश बदल रहा है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई दलाली बनाम डिजिटल इंडिया की है। दलाल आज डिजिटल इंडिया से परेशान हैं। डिजिटल इंडिया का गांव, गरीब, किसान, युवा भरपूर लाभ उठा रहे हैं जो गांव के सशक्तीकरण और साक्षरता का बड़ा माध्यम बनकर उभरा है।
मोदी ने कहा कि इस पहल के तहत प्रधानमंत्री ग्राम डिजिटल साक्षरता अभियान की भी शुरूआत की गई थी। इसके तहत 20 घंटे के बुनियादी कम्प्यूटर कोर्स की जानकारी देने का प्रावधान किया गया है। अब तक सवा करोड़ लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है जिसमें 70 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं।
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