उत्तराखंड की फार्मर संस्था  के अध्यक्ष नत्था सिंह पंवार  ने काश्तकारों पीड़ा को बयां करते हैं

Pahado Ki Goonj

देहरादून,उत्तराखंड की फार्मर संस्था  के अध्यक्ष नत्था सिंह पंवार  ने परेड ग्राउंड में विंटर कार्निवाल में प्रति भाग करतें हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार ने 2017 से ग्रामोखा दी का मेला नहीं लगाया है उनका कहना है कि किसानों की फसल का मूल्य तो सरकार तय कर रही है पर माल नहीं खरीद रही है। अभी मंडुवा का भाव तय कर दिया जाता है पर सरकार खरीद नहीं रही है।देखें vdo एवं अगली खबर।

 

24×7 देखें न0 1 ukpkg. com समाचार पोर्टल एवं यूट्यूब चैनल पर सभी प्रकार की खबरें।शेयर एवं कमेंट करें।

आगे पढ़ें

टिहरी बांध पर केंद्रीय मंत्री क्यों मौन क्यों

मोदी सरकार ने टिहरी के THDC प्रोजेक्ट को NTPC के हाथों बेच डाला है। हैरत की बात है कि जिस राज्य में ये प्रोजेक्ट है, और जिसका इस प्रोजेक्ट से पूरा वास्ता है, उसको इसकी भनक तक नहीं है। सवाल बनता है। जिस राज्य का पानी, जवानी और जमीन इस्तेमाल हो रहा हो, उसको क्या केंद्र विश्वास में कतई नहीं लेगा? ये सूरतेहाल तब है, जब उत्तराखंड में भी केंद्र की तरह बीजेपी की ही सरकार है। सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का विधान सभा सत्र के दौरान कहा-राज्य सरकार के पास इस विनिवेश की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है। ये बयान सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार की बेचारगी और केंद्र की नजरों में फूटी कौड़ी की हैसियत न होने की दशा को दर्शाती है।THDC प्रोजेक्ट में पूरा पानी राज्य का ही है। बेशक ये देश की धरोहर है, लेकिन नैतिक और विधिक तौर पर इसका स्वामी उत्तराखंड है। जमीन भी यहीं की है। प्रोजेक्ट के लिए जो जमीन ली गई, उसमें कइयों ने खुशी-खुशी दी तो कइयों से जबरन ली गई। जमीन अधिग्रहण और विस्थापन के मुद्दों को ले के क्या-क्या आंदोलन नहीं हुए थे। इसके अलावा प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली से 12.5 फीसदी अंश उत्तराखंड सरकार को मिलता है। प्रोजेक्ट में काम करने वाले अधिकांश कर्मचारी और श्रमिक टिहरी-उत्तराखंड के हैं। अभी भी कई बड़े मुद्दे उनके खत्म हुए नहीं हैं। THDC-IHET, जो देश का सबसे बड़ा जल विद्युत इंजीनियरिंग से जुड़ा कॉलेज है, ही कई अहम मसलों से जूझ रहा है। कई कानूनी पेंच इस कॉलेज को ले के फंसे हुए हैं। ऐसे में इसका बिक जाना देश के लिए तो चर्चाओं का विषय निश्चित रूप से है ही, राज्य सरकार के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। ये बात दीगर है कि इस मामले में त्रिवेन्द्र सरकार या फिर हमारे उत्तराखंड या फिर टिहरी के सांसद महारानी माला राज्यलक्ष्मी की हिम्मत पीएम नरेंद्र मोदी या फिर केंद्र सरकार के किसी अन्य अहम शख्स से बात भी करने की होगी, उसकी गुंजाइश शून्य है। उनको तो खुद प्रोजेक्ट बिक जाने की खबर मीडिया से लगी। उत्तराखंड से डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं। उनका भी एक पंक्ति का बयान इस मामले में नहीं आया है। इससे जाहिर हो जाता है कि उत्तराखंड की हैसियत केंद्र सरकार के सामने कितनी दयनीय बन के रह चुकी है। पहाड़ की अस्मिता और समस्याओं से वे किस कदर आँखें मूँद चुके हैं। या फिर केंद्र के सामने असहाय हैं।

Next Post

ट्रक के नीचे दबने से युवक की मौत

किच्छा। सड़क किनारे खराब पिकअप वाहन को ट्रैक्टर के माध्यम से खींचने के प्रयास के दौरान मौके से बगास से भरा ट्रक असंतुलित होकर ट्रैक्टर पर पलट गया। घटना में ट्रैक्टर के निकट खड़े युवक की ट्रक के नीचे दबकर दर्दनाक मौत हो गई। जबकि मृतक के दो भाई मामूली […]

You May Like